‘भारत की स्थिति (जारी) वकील’...
लोग इस पेशे को दूसरों के दुखों को दूर करने के लिए नहीं, बल्कि खुद को समृद्ध करने के लिए अपनाते हैं।
यह मेरा ज्ञान है कि लोगों के बीच विवाद होने पर वकीलों को खुशी होती है।
कुछ परिवार उनके द्वारा बर्बाद कर हो गए हैं; उन्होंने भाइयों को दुश्मन बना दिया है।
वकील वे लोग हैं जिनके पास ज़्यादा कुछ करने के लिए नहीं होता। आलसी लोग, जो विलासिता में लिप्त होने के लिए इस पेशे को अपनाते हैं।
वे ऐसे व्यवहार करते हैं कि गरीब लोग उन्हें लगभग स्वर्ग में जन्मा हुआ मानते हैं।
वे कानून की अदालत का सहारा लेने पर अधिक डरपोक और कायर हो जाते हैं।
यह मानना गलत है कि अदालतों को लोगों के लाभ के लिए स्थापित किया गया है ।
यदि लोग अपने झगड़े खुद ही सु्लझा लें, तो किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।
केवल पक्षों को पता होता है कि कौन सही है।
तीसरे पक्ष का निर्णयन हमेशा सही नहीं होता।
वकीलों ने ये जान लिया है कि उनका पेशा आदरनीय है।
वे कानून वैसे ही गढ़ते हैं जैसे अपनी तारीफ़ें कर रहे हैं।
वे अपनी फ़ीस खुद ही निश्चित करते हैं।
मेरी द्रढ़ धारणा है कि वकीलों ने भारत को ग़ुलाम बना लिया है और अंग्रेज़ी अधिका को सुनिश्चित कर दिया है।
यदि वकील अपने पेशे को छोड़ दें, और इसे केवल एक अपमानजनक वैश्याव्रत्ति समझें, तो अंग्रेज़ी राज कल ही टूट जाएगा।
मैंने वकीलों के संदर्भ में जो कहा है वो न्यायधीशों पर भी लागू होता है; ये दोनों एक दूसरे के भाई हैं; और एक दूसरे को शक्ति देते हैं।
आपको पहले तो ये समझने की ज़रूरत है कि वकीलों को कैसे बनाया गया और उनकापक्ष क्यों लिया गया। तब आप को भी इस पेशे से उतनी ही घ्रणा होगी जितनीमुझे है।
ये एक सत्य वक्तव्य है; कोई अन्य तर्क महज़ दिखावा है।
‘भारत – स्वराज’ में हम नवजीवन प्रकाशन ग्रह, अहमदाबाद, पिन कोड- 380 041
வாசகர்களின் கவனத்திற்கு...
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